मन अक्सर रो उठता है
सोच करके उन पलों को,
जो पल-पल पास आए जाते हैं
और दिल में हूक उठा जाते हैं /
जब जाते होगे दूर कहीं तुम मुझसे
और स्तब्ध खड़ा-सा मैं होऊँगा
आँसू ले अपनी आँखों में /
मन जो चाहे हो न पाए /
लिपट उठता हूँ मैं तुमसे
कि विदा की बेला शायद न आएगी /
घड़ियाँ बढ़ना छोड़ विगत को दुहरायेंगी /
भ्रम टूटता है,घड़ियाँ बढती हैं और कदम भी बढ़ते हैं /
आँखों में आँसू झिलमिल फिर से सजने लगते हैं /
वादे होते हैं फिर मिलने के,याद सदा रखने के
और भूले-से भी भूल नहीं जाने के /
वादे तो कर चुके पर क्या कभी ये पूरे होंगे ?
समय की धारा में बहते क्या कभी संग किनारे होंगे ?
बिन बोले क्या अब जानोगे ?
बातें जो भी कहना चाहूँ /
पास क्या तुम आ सकोगे?
साथ तुम्हारा जब भी चाहूँ /
- Kumar Keshvendra
सोच करके उन पलों को,
जो पल-पल पास आए जाते हैं
और दिल में हूक उठा जाते हैं /
जब जाते होगे दूर कहीं तुम मुझसे
और स्तब्ध खड़ा-सा मैं होऊँगा
आँसू ले अपनी आँखों में /
मन जो चाहे हो न पाए /
लिपट उठता हूँ मैं तुमसे
कि विदा की बेला शायद न आएगी /
घड़ियाँ बढ़ना छोड़ विगत को दुहरायेंगी /
भ्रम टूटता है,घड़ियाँ बढती हैं और कदम भी बढ़ते हैं /
आँखों में आँसू झिलमिल फिर से सजने लगते हैं /
वादे होते हैं फिर मिलने के,याद सदा रखने के
और भूले-से भी भूल नहीं जाने के /
वादे तो कर चुके पर क्या कभी ये पूरे होंगे ?
समय की धारा में बहते क्या कभी संग किनारे होंगे ?
बिन बोले क्या अब जानोगे ?
बातें जो भी कहना चाहूँ /
पास क्या तुम आ सकोगे?
साथ तुम्हारा जब भी चाहूँ /
- Kumar Keshvendra
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